-161-
संसार एक कड़वा वृक्ष है, इसके दो फल ही अमृत जैसे मीठे होते
है – एक मधुर वाणी और दूसरी सज्जनों की संगती।
-162-
क्रोध कभी भी बिना कारण नहीं होता, लेकिन
कदाचित ही यह कारण सार्थक होता है।
-163-
मदद करने के लिए सिर्फ धन की जरूरत नहीं होती है,
उसके लिए एक अच्छे मन की जरूरत होती है।
-164-
दुसरो को इतनी जल्दी माफ़ कर दिया करो, जितनी जल्दी आप
ऊपरवाले से अपने लिए माफ़ी की उम्मीद रखते हो।
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जीवन में ज्यादा रिश्ते होना जरूरी नहीं है, जो रिश्ते है,
उनमे जीवन होना जरुरी है।
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कर्म सुख भले ही न ला सके, लेकिन कर्म के बिना सुख नहीं मिलता है।
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खुशियों का कोई रास्ता नहीं
खुश रहना ही रास्ता है…
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अनुशासन लक्ष्यों और उपलब्धियों के बीच पुल है।
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कोई काम करने को लेकर देर तक सोच-विचार
अकसर उसके बिगड़ने का कारण बनता है।
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प्रसन्नता पहले से तैयार कोई चीज नही है,
यह तो आपके कर्मो से ही हासिल होती है।