नमस्कार दोस्तों, हिंदी चर्चा में आज से एक नया प्रयास शुरू हो रहा है जिसमे हस्त रेखा देखना सिखाया जा रहा है । यह सेवा सुरेश जी इसरानी द डिजिटल वल्र्ड सरदार पूरा जोधपुर की और से है । सबसे पहले आप किसी भी जातक का हाथ देखने से पहले अपने गुरु या इष्ट देवता का ध्यान करें।
सीधा हाथ आपका आज का और आने वाला कल का है। उल्टा हाथ जन्म से और बीता हुआ कल का होता है ।
हाथ देखने का पहला नियम यह है की आप जातक के हाथो को छुए नही । उससे थोड़ी सी दुरी बनाए रखेँ। हाथ में सबसे पहले अंगूठा होता है । इस अंगूठे के निचे के भाग को शुक्र पर्वत कहते है । शुक्र पर्वत से आप जीवन के सुख कितना भोग पाते है इसका मालूम पड़ता है। अंगूठे के पास वाली ऊगली को तर्जनी उंगली कहते है । यह गुरु की उंगली है इस उंगली के नीचे वाले भाग को गुरु पर्वत कहते है । इस उंगली से पितरौ के तिलक करने से पितृ प्रसन्न होते है । गुरु पर्वत से सम्मान घ्यान ज्ञान और निर्णय श्रमता का मालूम पड़ता है । हाथ में बीच वाली उँगली को मध्यमा उँगली कहते है। यह शनि की उँगली है। इस उँगली के नीचे वाले भाग को शनि पर्वत कहते है । यह आपकी कार्य श्रमता और मानसिक चेतना परिश्रम के बारे में मालूम पड़ता है। मध्यमा के पास वाली उँगली को अनामिका उँगली कहते है यह सूर्य की उँगली है। इसके नीचे वाले भाग को सूर्य पर्वत कहते है। यह मान् सम्मान यश कीर्ति बताता है। हाथ में सबसे छोटी उँगली कनिष्टिका के नाम से जानी जाती है। यह बुध पर्वत की उँगली है। इसके नीचे के भाग को बुध पर्वत कहते हे।यह व्यापार बोलने की कला के बारे में बताता है ।
मणिबन्ध रेखा, यह कलाई और हथेली के बिच में जोड़नी वाली कड़ी है। जिसके हाथ में मणिबन्ध रेखा होती है उसके राजसी ठाठ बाठ या सुख सुविधा का लाभ अवश्य मिलेगा।
चंद्र पर्वत, अंगूठे के सामने हथेली के आधार पर स्थित होता है। यह पर्वत एक मजबूत कल्पना शक्ति को दर्शाता है। यह लोगों में भावनात्मक या कलात्मक और सौंदर्य, रोमांस, रचनात्मकता, आदर्शवाद आदि को प्रदशित करता है। पूर्ण विकसित चंद्र पर्वत व्यक्ति को कला प्रेमी बनाता है ऐसे लोग कलाकार, संगीतकार, लेखक बनते हैं। ऐसे व्यक्ति मजबूत कल्पना शक्ति के गुणी होते हैं। यह लोग अति रुमानी होते हैं लेकिन अपनी इच्छाओं के प्रति आदर्शवादी होते हैं।
हथेली में मंगल पर्वत दो स्थानों पर स्थित है। पहला, यह जीवन रेखा के ऊपरी स्थान के नीचे स्थित है,और दूसरा उसके विपरीत हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के बीच मे स्थित है। पहला स्थान व्यक्ति मे शारीरिक विशेषताओं को और दूसरा मानसिक विशेषताओं को दर्शाता है। यह व्यक्ति मे निर्भयता, साहस, उद्दंडता, क्रोध, उत्साह, बहादुरी और वीरता की हद को दर्शाता है। ऐसे लोग अपने उद्देश्यों के प्रति दृढ़ संकल्प रहते हैं। आमतौर पर यह नेक दिल और उदार होते हैं लेकिन यह अप्रत्याशित और आवेगी भी होते हैं। इनका सबसे बड़ा दोष इनमें आवेग और आत्म नियंत्रण की कमी है। मस्तिष्क रेखा लंबी होने के बावजूद यह सभी प्रकार की कठिनाइयों और ख़तरों का सामना करते हैं।लोग ऐसे व्यक्तियों कि आलोचना उनके क्रोध और विचारों में कट्टरवादी होने के कारण करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को आत्म -नियंत्रण का अभ्यास करना चाहिये और सभी प्रकार की मदिरा और उत्तेजक पदार्थो से दूर रहना चाहिए। राहु पर्वत :-यह हथेली के बीच में पाया जाता हे ।
केतु :- यह मणिबन्ध से ऊपर पाया जाता हे। 1:-अंगुठा 2:-तर्जनी 3:-मध्यमा 4:-अनामिका 5:-कनिष्टिका 6:-शुक्र पर्वत 7:-गुरु पर्वत 8:-शनि पर्वत 9:-सूर्य पर्वत 10:-बुध पर्वत 12:-मंगल पर्वत 13:-राहु पर्वत 14:-केतु पर्वत 15:- चन्द्रमा पर्वत 16:- मणिबन्ध रेखा
जब बालक जन्म लेता हे तब उसके हाथ बन्द होते हे यानिकी वो अपनी किस्मत में कुछ लेकर आता हे लेकिन जब वो जाता हैं तो अपने दोनों हाथ खोलकर जाता हे सब यही छोड़ जाता हैं। हमारे हाथ की रेखाए भी हमारे जीवन का हर पहलू बता सकती हैं लेकिन हमे सही पढ़ना आना चाहिए।
हाथ में जीवन में जीवन रेखा ह्रदय रेखा ओर मस्तिष्क रेखा ये रेखाए कभी भी नही बदलती हैं बाकि सभी रेखाएँ बार-बार बदलती रहती हैं।
जीवन रेखा:- हाथ में यह रेखा सबके पाई जाती हैं। इस रेखा से जातक के जीवन में आने वाली समस्यों और दुर्धटना के बारे में जानकारी मिलती हैं। मस्तिष्क रेखा यह रेखा जीवन रेखा के पास से चलकर चन्द्र पर्वत के ऊपर या कई बार चन्द्र पर्वत तक जाती हैं । इस रेखा से जातक का मस्तिष्क और उसके ज्ञान विधा दूर दर्शिता का मालूम पड़ता हैं।
हदृय रेखा:- यह रेखा बुध पर्वत से चलकर गुरु पर्वत या शनि पर्वत के निचे तक आकर रुक जाती हैं। कई हाथो में ह्रदय रेखा बहुत छोटी या कई बार तो होती ही नही हैं।
भाग्य रेखा:- यह रेखा कहि से भी चलकर शनि पर्वत के नीचे तक आये तो भाग्य रेखा कहलाती हैं। कई बार यह रेखा छोटी भी पाई जाती हैं।
मंगल रेखा :- जो रेखा जीवन रेखा के साथ चलती हे या उसके पास एक लाइन होती हैं उसे मंगल रेखा कहते हैं यह हमेशा जीवन में होने वाले संकटो से बचाव करती हैं।
गुरु रेखा :- गुरु पर्वत पर कोई खड़ी रेखा गुरु रेखा कहलाती हैं यह जातक को ज्ञानी बनाती हैं।
शनि रेखा:-शनि पर्वत के निचे कोई खड़ी रेखा शनि रेखा कहलाती हैं यह रेखा जातक के मेहनती और कार्य क्षमता के बारे में बताती हे।
सूर्य रेखा:- सूर्य पर्वत के निचे कोई रेखा हो तो सूर्य रेखा कहलाती हैं यह रेखा यश कीर्ति मान संम्मान और राजकीय श्रेत्र में सफलता को बताती हैं। यह सेवा श्री सुरेश जी इसरानी द डिजिटल वर्ल्ड सरदार पूरा जोधपुर वालो की और से दी जा रही हैं।