ज्योतिष

जूते चप्पल से कैसे आता है दुर्भाग्य

Written by hindicharcha

हिंदी चर्चा में आज हम आपको बताएँगे की कैसे जूते चप्पल से आता है दुर्भाग्य, हम जब भी नए जूते चप्पल खरीद कर उनको पहनते है तो हम एक नई ऊर्जा का अहसास करते है लेकिन हमे अमावस्या, मंगलवार, शनिवार और ग्रहण के दिन नये जूते चप्पल कतई नही खरीदने चाहिए। यदि इन दिनों हम जूते चप्पल खरीदते है तो अचानक नुकसान की सम्भावना बन जाती है।

हमे जूते चप्पल पहन कर तिजोरी और लॉकर नही खोलना चाहिए, इससे लक्ष्मी जी का अपमान होता है। हमे जूते चप्पल पहन कर रसोई या भण्डार घर में नही जाना चाहिए, इससे माँ अन्नपूर्णा का अपमान होता है। जूते चप्पल पहन कर खाना बनाने से विश्वास की कमी और परिवार में अशांति का वातावरण बना रहता है। जो इन सब बात का ध्यान रखते हे उनके घर में कभी अन्न की कमी नही आती है।

जूते चप्पल पहन कर किसी नदी या सरोवर के पास भी नही जाना चाहिए, चमड़े की वस्तुऍ के साथ और जूते चप्पल पहन कर कभी भी नदी या पवित्र सरोवर में स्नान करने से भाग्य रूठ जाता है। जूते चप्पल मौजे चमड़े की वस्तुऍ पहन कर कभी मन्दिर या देव प्रतिमा के पास नही जाना चाहिए, ऐसा करने से उम्र कम हो जाती है। अगर आपके जूते चप्पल मन्दिर धर्म स्थान या अस्पताल से चोरी हो जाते है तो यकीनन आपका दुर्भाग्य दूर होगा। ओर जो नुकसान होने वाला था वो भी नही होता है ऐसा लोग मानते है।

अगर आपके जूते चप्पल बार बार फट या टूट रहे  है तो अपने पहने हुए जूते चप्पल शनिवार के दिन शनि मन्दिर के बाहर छोड़ कर आ जाये। शनि का कुप्रभाव नही होगा। परेशानियां बार बार कम नही हो रही है तो आपका जो नक्षत्र है उसमे अपने पहने हुए जूते चप्पल मन्दिर के बाहर छोड़ कर आ जाये। आते समय नंगे पैर ही आना है, और पीछे मुड़ कर नही देखना है।

अगर आपके चलने पर जूते चप्पल की आवाज ज्यादा आती है तो आपसे जुड़े हुए रिश्तों में तनाव बढ़ता है अतः जूते चप्पल बदल लें। घर में ज्यादा पुरानी जूते चप्पल नही रखेँ। ध्यान रहे अगर आपके जूते चप्पल उलटे पड़े हो तो तुरन्त ही सीधे कर देवे क्योकि यह तनाव कर्ज और झगड़ा करवा देते है। अगर जूते चप्पल एक दूसरे के ऊपर सीधे पड़े हो तो शुभ संकेत हैऔर यात्रा के अवसर मिलते है।

अगर आपका एक पैर का जूता चप्पल अचानक खो जाता है तो और तीन दिन तक नही मिलता है तो दूसरा जूता चप्पल भी घर के बाहर फ़ेक देना चाहिए क्योकि कोई गलत प्रयोग भी कर सकता है।

इन सब बातों का कोई कतई ये मतलब न निकाले की आज के वैज्ञानिक युग में हम किसी को अन्धविश्वास सीखा रहे है या बता रहे है या आपमें से किसी को भ्रमित कर रहे है। चूंकि हमारे पूर्वज इस तरह की बातों का विशेष ध्यान रखते थे जो हमारे लिए अच्छा होता था आज कुछ इस तरह की बाते सामने आयी तो सोचा क्यों न आप लोगो को भी इस बारे में बता दूं। बाकि आगे मानना न मानना आप पर निर्भर करता है।

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