पहला दोष- केमद्रुम दोष
– यह योग चन्द्रमा से बनने वाला सबसे बुरा दोष है
– जब चन्द्रमा के दोनों और कोई ग्रह न हो और
– चन्द्रमा पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो यह दोष बन जाता है
दूसरा दोष- बंधन दोष
– यह योग विभिन्न ग्रहों से बनता है
– परन्तु इसमें मंगल और शनि विशेष खराब भूमिका निभाते हैं
– अष्टम भाव या छठवे भाव के खराब होने पर यह योग सरलता से बन जाता है
तीसरा दोष- ग्रहण दोष
– यह दोष सूर्य और चन्द्रमा दोनों से बनता है
– सूर्य के साथ राहु हो या चन्द्र के राहु हो तो ग्रहण दोष बन जाता है
– कोई भी ग्रहण दोष होने पर जीवन में सब कुछ रुक जाता है
चौथा दोष- गुरु स्थान दोष
– यह दोष बृहस्पति के कारण बनता है
– जिस भाव में बृहस्पति स्थित होता है, उसका नाश कर देता है
– अतः जिस स्थान में पाया जाता है वहां स्थान दोष दे देता है
पांचवां दोष- शनि दृष्टि दोष
– यह दोष शनि के कारण निर्मित होता है
– शनि की दृष्टि जिस भाव या जिस ग्रह पर पड़ती है उसका नाश हो जाता है
– जिस ग्रह को शनि देख लेता है, उस ग्रह का शुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है
– और वह ग्रह जीवन में समस्याएं देने लगता है