वास्तु शास्त्र को विज्ञान माना गया है। छोटे घरों से लेकर बड़ी टाउनशिप्स तक में वास्तु के अनुसार निर्माण का चलन बढ़ता जा रहा है। वास्तव में, वास्तु प्रकृति के पांच तत्व (धरती, अग्नि, वायु, आकाश और पानी) के संतुलन का विज्ञान है। सही दिशा में चीजों को रखना और उनसे निकलने वाली ऊर्जा का सकारात्मक प्रभाव लेना ही इस विज्ञान का उद्देश्य है।
अक्सर वास्तु सलाहकार घरों में फव्वारा, झरना या पानी से जुड़ा कोई शोपीस या तस्वीर लगाने की सलाह देते हैं। ये सलाह वास्तव में उस घर के जल तत्व को संतुलित करने और जल की ऊर्जा का सकारात्मक प्रभाव लेने के लिए होती है। बहता पानी अपने आसपास के माहौल में एक तरह की गतिशीलता लाता है। इससे पानी का स्वभाव बहना और गतिशील रहना है। इंसान के दिमाग में भी ज्यादातर भाग पानी से जुड़ा ही माना गया है। इस कारण, पानी के आसपास गतिशील रहने से वहां रहने वाले इंसानों के व्यक्तित्व पर बहुत असर होता है। दिमाग तेजी से चलता है, हमेशा एक्टिव रहते हैं।