हिंदी चर्चा क्रिसमस डे विशेष में आज हम आपको बताएँगे की क्रिसमस पर हर बच्चे को सांता क्लॉज का इंतजार रहता है। लाल कपड़े पहने, सिर पर टोपी लगाए, लंबी सी दाढ़ी वाले व ढेर सारे गिफ्ट्स का झोला उठाए सांता सभी बच्चों के प्यारे हैं। क्रिसमस आते ही बच्चे यह सोचना शुरू कर देते हैं कि इस बार सांता से उन्हें क्या गिफ्ट मांगनी है।
कोई उन्हें लेटर लिखता है तो कोई बस आंख बंद करके विश मांग लेता है। फिर क्रिसमस की रात इस विश के पूरा होने का इंतजार रहता है। बच्चों का मानना है कि सांता उनकी विश जरूर पूरी करेंगे। सवाल यह है कि आखिर कौन है सांता क्लॉज और कहां से आते हैं ये…
कहा जाता है कि संत निकोलस को ही सांता क्लॉज कहा जाता है। जीसस क्राइस्ट की मौत के 280 साल बाद मायरा में संत निकोलस का जन्म हुआ था। बचपन में माता-पिता के देहांत के बाद निकोलस जीसस क्राइस्ट को बहुत मानते थे। बड़े होने पर उन्होंने अपना जीवन प्रभु के लिए अर्पित कर दिया। पहले वे पादरी बने और फिर बिशप। वे हर समय जरूरतमंद लोगों की सेवा और उनकी मदद में लगे रहते थे।
अकसर वे गरीब बच्चो और लोगों को तोहफे देते थे। इसलिए निकोलस को संता कहा जाता है। वह आधी रात को गिफ्ट देते थे ताकि कोई उन्हें पहचान ना सके। उनकी मौत के बाद ये माना जाने लगा कि वे क्रिसमस पर आधी रात को बच्चों को तोहफे देने आते हैं। इसके बाद से ये प्रथा चल पड़ी।
ये है सांता का घर
सांता क्लॉज विलेज उत्तरी फिनलैंड में रोवानेमी शहर से 7 किलोमीटर दूर है। यहां पर सांता क्लॉज का ऑफिस भी है। यह जगह न सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए दिलचस्प जगह है। यहां सांता क्लॉज का एक पोस्ट ऑफिस भी है जहां दुनिया भर के बच्चों की विश आती है।
कहा जाता है कि हर साल लगभग 5 लाख विशेज यहां आती हैं। यहां ‘फादर क्रिसमस’ अपने सैंकड़ों मेहमानों से मिलते हैं। इस जगह को लकड़ियों से बेहद खूबसूरती से सजाया गया है। लकड़ियों से सजे इस कमरे में बच्चे सांता की गोद में बैठ सकते हैं। बड़े सांता से हाथ मिलाते हैं और कई यादें यहां से ले बटोर कर ले जाते हैं।
Source : Himachal Abhi