हिंदी चर्चा के वास्तु ज्ञान में आज हम आपको बताएँगे की अगर आप भी घर का वास्तु दोष मिटाना चाहते है तो जानिये वास्तु के अनुसार आपका रसोईघर या किचन कैसा होना चाहिए।
तो आइये जानते है वास्तु के अनुसार कैसा होना चाहिए आपका रसोईघर
भोजन की गुणवत्ता बनाए रखने और उत्तम भोजननिर्माण के लिए रसोईघर का स्थान घर में सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। यदि हम भोजन अच्छा करते हैं तो हमारा दिन भी अच्छा गुजरता है। यदि रसोई कक्ष का निर्माण सही दिशा में नहीं किया गया है तो परिवार के सदस्यों को भोजन से पाचन संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।
रसोईघर के लिए सबसे उपयुक्त स्थान आग्नेय कोण यानी दक्षिण-पूर्वी दिशा है, जो कि अग्नि का स्थानहोता है। दक्षिण-पूर्व दिशा के बाद दूसरी वरीयता का उपयुक्त स्थान उत्तर-पश्चिम दिशा है।
भोजन करते समयपूर्व या उत्तरमुखी बैठकर भोजन करें। भोजन, भोजन कक्ष में ही करें। रसोईघर में भोजन पकाते समय आपका मुख पूर्व दिशा में होना चाहिए। रसोई गृह में भोजन बनाते समय गृहिणी का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए। बरतन, मसाले, राशन इत्यादि पश्चिम दिशा में रखने चाहिए।
बिजली के उपकरण दक्षिण-पूर्व में रखने चाहिए। जूठे बरतन तथा चूल्हे की स्लैब अलग होनी चाहिए। रसोईघर में दवाइयां नहीं रखनी चाहिए। रसोईघर में काले रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह हरा, पीला,क्रीम या गुलाबी रंग का हो सकता है।
रसोईघर में पीने का पानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। रसोईघर में गैस दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना चाहिए। रसोईघर में भोजन करते समय आपका मुख उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। फ्रिज पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखा जा सकता है। खाद्य सामग्रियों, बर्तन, क्रॉकरी इत्यादि के भंडारण के लिए स्थान पश्चिम या दक्षिण दिशा में बनाना चाहिए। रसोईघर में पूजा का स्थान नहीं होना चाहिए। खाने की मेज को रसोईघर में नहीं रखा जाना चाहिए। मजबूरी है रखना तो उत्तर-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए ताकि भोजन करते समय चेहरा पूर्व या उत्तर हो।
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