नमस्कार दोस्तों हिंदी चर्चा में आपको स्वागत है, आज की अध्यात्म चर्चा में हम आपको बताएँगे क्या मुख्य कारण था महात्मा गाँधी जी के असहयोग आंदोलन शुरू करने का,
कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1920 ईस्वी में असहयोग आंदोलन शुरू करने का निर्णय किया| यह एक क्रांतिकारी कदम था, कांग्रेस ने पहली बार सक्रिय कार्यवाही अपनाने का निश्चय किया| इस क्रांतिकारी परिवर्तन के अनेक कारण थे।
अब तक महात्मा गांधी ब्रिटिश सरकार की न्याय प्रियता में विश्वास करते थे और उन्होंने प्रथम विश्वयुद्ध में सरकार को पूरा सहयोग किया था किंतु जलियांवाला बाग नरसंहार, पंजाब में मार्शल लॉ और हंटर कमेटी की जांच में उनका अंग्रेजों के न्याय से विश्वास उठा दिया। उन्होंने अनुभव किया कि अब पुराने तरीके छोड़ने होंगे। कांग्रेस से उदारवादियों के अलग हो जाने के बाद कांग्रेस पर पूरी तरह उग्रवादियों का नियंत्रण हो गया।
उधर तुर्की और मित्र राष्ट्रों में “सेवर्ष की संधि” की कठोर शर्तो से मुसलमान भी रुष्ट थे। देश में अंग्रेजो के प्रति बड़ा असंतोष था। महात्मा गांधी ने मुसलमानों के खिलाफत आंदोलन में उनका साथ दिया तथा असहयोग आंदोलन करने का विचार किया। सितंबर 1920 में कोलकाता में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कांग्रेस के अधिवेशन में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव रखा। सी० आर० दास, बी० सी० पाल, एनी बेसेन्ट, जिन्ना और मालवीय जी ने इसका विरोध किया तथापि यह प्रस्ताव बहुमत से पारित हो गया।
दिसंबर 1920 में कांग्रेस के नियमित अधिवेशन में असहयोग का प्रस्ताव बहुमत से पास हो गया। विरोधियों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया।
इस आंदोलन के मुख्य बिंदु थे – खिताबों तथा मानद पदों का त्याग, स्थानीय निकायों के नामजदगी वाले पदों से इस्तीफा, सरकारीदरबारों या सरकारी अफसरों के सम्मान में आयोजित उत्सवों में भाग न लेना, बच्चों को स्कूलों से हटा लेना, अदालतों का बहिष्कार, फौज में भर्ती का बहिष्कार आदि। असहयोगियों के लिए अहिंसा तथा सत्य का पालन करना आवश्यक था। गाँधी जी को विश्वास था कि इस आन्दोलन से एक वर्ष में स्वराज्य की प्राप्ति हो जाएगी।
इस आन्दोलन का भारतीय जनता पर गहरा प्रभाव पड़ा। विदेशी वस्तुओं की होली जलाई गई। बहुत से छात्रो ने स्कूल तथा कालेजों का बहिष्कार किया। महात्मा गाँधी ने ‘केसरे हिन्द’ का ख़िताब छोड़ दिया।
13 नवम्बर 1921 ई० में प्रिंस ऑफ़ वेल्स के भारत आगमन के समय मुम्बई में हड़ताल रखी गई। दिसम्बर 1921 में प्रिंस के कलकत्ता आगमन पर भी हड़ताल रखी गई।
ब्रिटिश सरकार ने इस आन्दोलन को कुचलने के लिए व्यापक दामन चक्र चलाया। महात्मा गाँधी के अलावा सभी कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। चौरी-चौरा के एक अप्रिय घटना के कारण महात्मा गाँधी ने 1922 ई० में यह आन्दोलन वापस ले लिया।
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